इंद्रजाल
रोज़ रात को आँखें मूँदे अपने सिरहाने तलेढूँढती हूँ तुम्हारे उस दिव्य अंश को जो बड़ी ममता से मेरे माथे परथपकियाँ दे मुझे सुलाने आ जाता है, मेरी उलझी अलकों को अपनी तराशी हुई उँगलियों से रोज़ सुलझा जाता...
View Articleइसके सिवा कुछ और नहीं
सुनते हैं लड़कियों की शिक्षा के मामले में हमारा देश में खूब विकास हुआ है ! लडकियाँ हवाई जहाज उड़ा रही हैं,लडकियाँ फ़ौज में भर्ती हो रही हैं, लड़कियाँ स्पेस में जा रही हैं, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक बन...
View Articleपहाड़ी नदी
स्वर्ग से नीचेधरा पर उतरीपहाड़ी नदीकरने आईउद्धार जगत काकल्याणी नदीबहती जाती अथक अहर्निशयुगों युगों से करती रही धरा अभिसिंचित ये सदियों से जीवन यह है अर्पित तुमको हे रत्नाकर उमड़ चली मिलने को तुमसे मेरे...
View Articleशब्द बाण
कब तक इसी तरहविष बुझे बाणों सेबींधते रहोगे तुम मुझे !स्वर्ण मृगी बन करसनातन काल सेआखेट के लिये आतुरतुम्हारे बाणों कीपिपासा बुझाने के लिये अपनी कमनीय काया परमैं अनगिनत प्रहारों कोझेलती आयी हूँ !युग...
View Articleरचना हूँ मैं तेरी माँ
मातृ दिवस पर विशेष रचना हूँ मैं तेरी माँमिट्टी से हूँ गढ़ी हुईचौखट में हूँ जड़ी हुईछाया हूँ मैं तेरी माँ !रचना हूँ मैं तेरी माँ !काँटों के संग उगी हुईतीक्ष्ण धूप में पगी हुईकलिका हूँ मैं तेरी माँ !रचना...
View Articleकैसे लिखूँँ चिट्ठी तुम्हें ....
आज फिर तुम्हें ख़त लिखने बैठी हूँ आज फिर अतीत की वीथियों में भटक रही हूँ पहले लिखते थे ख़त कलम से स्याही पेन में भर के तैयार रखते थे जो खत का मजमून लंबा होता ! बीच में स्याही समाप्त हो जाए तो यह व्यवधान...
View Articleकुछ ऐसी गुज़री हम पर
इस बार की सर्दियाँ हर बार से अधिक निर्मम थीं ! पीठ और घुटने का दर्द चैन से बैठने नहीं देता था ! रोज़ सुबह होने के बाद गृहस्थी के और अपने वहाट्स एप ग्रुप्स के रोज़ के टास्क निपटाते निपटाते कब रात आ जाती...
View Articleटाई की आत्मकथा
मुझे याद है जब वरुण क्लास वन में आया था तो उसे पहली बार स्कूल ड्रेस के साथ मुझे भी गले में बाँधना अनिवार्य हो गया था ! वरुण कितना खुश था ! सुबह जल्दी जल्दी तैयार होकर मुझे उठा कर पापा के पास पहुँच...
View Articleपर्यावरण चिंतन
रिक्शे में बैठेंसाइकिल निकालें सवारी करें पैदल चलेंशुद्ध रखें हवा को वर्जिश करें दोस्ती निभाएंप्रदूषण घटायें साथ में जायें छोड़ें कारों को सस्ती ई-गाड़ियों कालाभ उठायें दूरियाँ बढ़ीं तो वाहन भी...
View Articleएक आत्मा का स्वर्गारोहण
अस्पतालों में पसरी बदइन्तज़ामी प्राणरक्षक दवाइयों की किल्लतऔर रोज़ मरने वालों की बढ़ती तादाद, इतनी परेशानियों के बीच बस एक ही सुखद खबर कि मुझे मुक्ति मिली चालीस साल की कैद से और लो हो गयी पूरी मेरे मन की...
View Articleये वादा रहा
यूँ तो मुझे सरप्राइज़ ज़रा भी अच्छे नहीं लगते हर काम अच्छी तरह से सोच समझ कर सुनियोजित सुविचारित रूप से करना ही मुझे पसंद है लेकिन मेरी प्यारी सखी तुझसे मेरी यही इल्तिजा है कि तू जब भी मेरे घर आये मुझे...
View Articleकितनी सुन्दर होती धरती
कितनी सुन्दर होती धरती, जो हम सब मिल जुल कर रहते झरने गाते, बहती नदिया, दूर क्षितिज तक पंछी उड़ते ना होता साम्राज्य दुखों का, ना धरती सीमा में बँटतीना बजती रणभेरी रण की, ना धरती हिंसा से कँपती ! पर्वत...
View Articleसार्थक चिंतन - कुछ हाइकु
मुँह में राम बगल में खंजर आम मंज़र आम के आम गुठलियों के दाम मौके की बात अब न मिलें ऐसे सुअवसर वक्त की घात माता का प्यार चोंचला अमीरों का खाते हैं मार सुख न दुःख निस्पृह है जीवन बैरागी हम नन्हा...
View Articleमत कुरेदो घाव मन के
मत कुरेदो घाव मन के फिर वही शिकवे गिले और चाँदमारीहर समय ज़िल्लत सहें किस्मत हमारी अब न बाकी ताब है जर्जर हृदय में कह नहीं पायेंगे शब कैसे गुज़ारी ! बस तुम्हें तो दोष देना सोहता है भूल कर भी फ़िक्र कब...
View Articleफैमिली कोर्ट - लघुकथा
फैमिली कोर्ट के छोटे से कमरे में अधेड़ वय के पति पत्नी बैठे हुए थे ! पति अत्यंत क्षुब्ध और अप्रसन्न दिखाई दे रहा था पत्नी बेहद असंतुष्ट और दुखी ! मजिस्ट्रेट शालिनी उपाध्याय बारीकी से उनके हाव भाव निरख...
View Articleपावस ऋतु – चंद हाइकु
पावस ऋतुहुआ मन मगन आये सजन भीगा मौसम हर्षाये क्षितिज पर धरा गगन बूँदों के हार पहन उल्लसित मुग्ध वसुधा हुई बावरी रोम रोम से पीती मादक सुधा फ़ैली सुरभि खिल उठे सुमन गाता पवन सृष्टि हर्षाई हुआ...
View Articleगोदान
‘गोदान’ शब्द सुनते ही एक दिव्य भाव एक पवित्र विचार से मन भर जाता है, एक अलौकिक सा आत्मबोध एक पारलौकिक सी परम्परा का भान मन की हर दुविधा हर असमंजस को हर जाता है ! कितनी पवित्रता कितने गहरे संस्कार मन...
View Articleमेरी फितरत
मैं तो चल पडी थी सपनों की डोर थामे दूर फलक की राह पर लेकिन मेरा यह सुख भी तुझे कहाँ बर्दाश्त हुआ नियति फोड़ ही दिया ना तूने मेरी ख्वाहिशों का गुब्बारा लेकिन देख मेरी चाल और देख मेरा हौसला कभी नहीं तोड़...
View Articleयादें
कुछ यादे हैं जो गुदगुदाया करती हैंकभी अधरों पर बन मुस्कुराहटतो कभी आँखों में बन बदली छा जाया करती हैं, हमें तो जीने का हुनर सिखाया है इन यादों ने ही कभी दोधारी तलवार पर चला देती हैं तो कभी आसमान में...
View Articleविजयी विश्व तिरंगा प्यारा
स्वाधीनता दिवस की हीरक जयन्ति के उपलक्ष्य में विशिष्ट प्रस्तुतिमस्ती में झूमेसातों गगन चूमे तिरंगा प्यारा !मिली आज़ादीविहँसी माँ भारती प्रफुल्ल देश !झूमे मगनलहराए तिरंगा हर्षित धरा !जिये आन सेसीमा की...
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