मौन
मेरे मौन को तुम मत कुरेदो !यह मौन जिसे मैंने धारण किया हैदरअसल मेरा कम औरतुम्हारा ही रक्षा कवच अधिक है !इसे ऐसे ही अछूता रहने दोवरना जिस दिन भीइस अभेद्य कवच कोतुम बेधना चाहोगेमेरे मन की प्रत्यंचा...
View Articleताशकंद यात्रा – ४
मेरा यात्रा वृत्तांत द्रौपदी के चीर की तरह बढ़ा जा रहा है ! देखिये ना चौथे भाग पर आ गयी हूँ लेकिन अभी ताशकंद पहुँचने के बाद पहले दिन की शाम भी पूरी तरह से सुरमई नहीं हुई है ! क्या करूँ वहाँ इतना कुछ है...
View Articleविडम्बना - एक लघुकथा
टी वी पर धारावाहिक ‘महाभारत’ का प्रसारण चल रहा था ! आज का प्रसंग द्रौपदी के चीर हरण का था ! मुझे यह एपीसोड विशेष रूप से पसंद है ! द्रौपदी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री का अभिनय भी कमाल का और संवाद तो...
View Articleआहट
कहीं यह तुम्हारे आने की आहट तो नहीं !घटाटोप अन्धकार मेंआसमान की ऊँचाई सेमुट्ठी भर रोशनी लियेकिसी धुँधले से तारे कीएक दुर्बल सी किरणधरा के किसी कोने में टिमटिमाई है !कहीं यह तुम्हारी आने की आहट तो नहीं...
View Articleआर पार
आज भी खड़े हो तुम उसी तरह मेरे सामने एक मुखौटा अपने मुख पर चढ़ाए नहीं समझ पाती क्या छिपाना चाहते हो तुम मुझसे क्यों ज़रुरत होती है तुम्हें मुझसे कुछ छिपाने की ! जबकि प्रेम की सबसे बड़ी और सबसे पहली शर्त...
View Articleमेरी बिटिया
प्यारी बिटिया मुझको तेरा ‘मम्मा-मम्मा’ भाता है,तेरी मीठी बातों से मेरा हर पल हर्षाता है !दिन भर तेरी धमाचौकड़ी, दीदी से झगड़ा करना,बात-बात पर रोना धोना, बिना बात रूठे रहना,मेरा माथा बहुत घुमाते, गुस्सा...
View Articleटुकड़ा टुकड़ा आसमान
अपने सपनों को नई ऊँचाई देने के लियेमैंने बड़े जतन से टुकड़ा टुकड़ा आसमान जोड़ा थातुमने परवान चढ़ने से पहले ही मेरे पंखक्यों कतर दिये माँ ?क्या सिर्फ इसलिये कि मैं एक बेटी हूँ ? अपने भविष्य को खूबसूरत रंगों...
View Articleआये थे तेरे शहर में
आये थे तेरे शहर में मेहमान की तरह,लौटे हैं तेरे शहर से अनजान की तरह !सोचा था हर एक फूल से बातें करेंगे हम,हर फूल था मुझको तेरे हमनाम की तरह !हर शख्स के चहरे में तुझे ढूँढते थे हम ,वो हमनवां छिपा था...
View Articleताशकंद यात्रा – ५ आइये समरकंद चलें
ताशकंद की बेहद सुखद और सुन्दर सैर के बाद रात बड़ी सुकून भरी नींद आई ! सोने से पहले अगली सुबह की थोड़ी तैयारी भी कर ली थी मैंने ! यह मेरी आदत में शुमार है ! सुबह के पहनने वाले कपड़े, यात्रा में काम आने...
View Articleहालात जो बदले...
हालात जो बदले मयार ए ग़म बदल गयाआयी बहार खिजाँ का मौसम बदल गया !मन को सुकून आया और ऐतबार हो चला पल भर में ग़म ओ दर्द का जज़्बा बदल गया ! लोगों के रंज ओ ग़म का फ़साना हुआ ख़तम हर आम जन और ख़ास का चेहरा बदल गया...
View Articleमौन का दर्पण - आदरणीया बीना शर्मा जी की नज़र से
‘मौन का दर्पण’--एक समीक्षामेरी बात निश्चित ही एक दिन अवश्य सिद्ध होगी कि साधना जी का लेखन स्त्री जाति के लेखन का प्रतिबिम्ब है. मेरा और उनका परिचय उनके लेखन के प्रथम सोपान से ही है. हर छह माह में उनकी...
View Articleसर्दी की रात
सर्दी की रात ठिठका सा कोहरा ठिठुरा गात ! मंदा अलाव कँपकँपाता तन झीने से वस्त्र !तान के सोया कोहरे की चादर पागल चाँद ! काँपे बदन उघड़ा तन मन खुला गगन !चाय का प्याला सर्दी की बिसात पे बौना सा प्यादा !...
View Articleपूस की रात
चंद हाइकू और ताँका ठण्ड की रातभारी अलाव परछाया कोहरा !सीली लकड़ीबुझता सा अलावजला नसीब !बर्फ सी रातफुटपाथ की शैयामुश्किल जीना !बर्फीली हवा बदन चीर जायेफटा कम्बल !पक्के मकानमुलायम रजाईपूस की रात !दीन...
View Articleमेरी अंजुरी
इस अंजु में समाई हैसारी दुनिया मेरीमाँ की ममता,बाबूजी का दुलार,दीदी का प्यारभैया की स्नेहिल मनुहारये सारे अनुपम उपहारअपने आशीर्वाद के साथमेरी अंजुरी में बाँध दिए थे माँ नेविवाह के मंडप मेंकन्यादान के...
View Articleअपनी-अपनी औकात
सरला की काम वाली बाई आज अनमनी सी दिख रही थी ! रोज़ की तरह उसने आज सरला से राम-राम भी नहीं की ! सरला ने उसे अपने पास बुलाया और प्यार से पूछा, “क्या बात है रानी आज तुम कुछ परेशान लग रही हो ! घर में सब...
View Articleमुझे अच्छा लगता है
इन दिनोंमन की खामोशियों कोरात भर गलबहियाँ डालेगुपचुप फुसफुसाते हुए सुननामुझे अच्छा लगता है ! अपने हृदय प्रकोष्ठ के द्वार परनिविड़ रात के सन्नाटों मेंकिसी चिर प्रतीक्षित दस्तक कीधीमी-धीमी आवाज़ों कोसुनते...
View Articleराग - वैराग्य
हमने था शामिल किया अपनी दुआओं में तुझे पर न शामिल हो सके तेरी दुआओं में कभी,दूर था तेरा ठिकाना रास्ता दुश्वार था हम जतन करते रहे तुझ तक पहुँचने के सभी !पर मिली ना मंज़िलें, ना रास्तों का था पताहम तेरी...
View Articleताशकंद यात्रा – ६ - तैमूर का शहर समरकंद
ग्रुप के कुछ साथियों का टिकिट किसी कारणवश बुलेट ट्रेन से नहीं हो पाया था इसलिए उन्हें बाद की ट्रेन से आना पड़ा ! हम सभी बस में बैठ कर उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे ! अनजान देश ! ग्रुप से अलग हो गए कुछ सदस्य...
View Articleविरासत
अपने सारे जीवन भर घर, परिवार, समाज, नियति इन सबसे असंख्य चोटों, गहरे ज़ख्मों और अनगिनती छालों की जो दौलत मैंने विरासत में पाई है उसे आज मैं तुम्हें हस्तांतरित करने के लिए तत्पर हूँ, तुम चाहो तो उसे ले...
View Articleताशकंद यात्रा – ७ तैमूर का समरकंद -२
तैमूर का मकबरा, ‘गुर ए अमीर’ देख कर हमारा काफिला रेगिस्तान स्क्वेयर की ओर चला ! गर्मी बहुत ज़बरदस्त थी ! गर्मी से राहत पाने के लिए कैप छाते जो साथ में लाये थे बस के लगेज केबिन में अटेची में बंद रखे थे !...
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