चुनावी रेस
सिंहासन तक पहुँचने के लिए आरम्भ होने ही वाली है रेस !मैदान में प्रतियोगिता के लिए हो चुके हैं सारे प्रबंध और रास्तों पर बिछा दिए गए हैं कुशल कारीगरों के हाथों बने हुए बड़े ही खूबसूरत और कीमती खेस...
View Articleछोटी सी दुनिया
थी वो छोटी सी दुनिया गिने चुने थोड़े से लोग चिर परिचित से जाने पहचाने चहरे बेहद प्यारे बेहद अज़ीज़ कोई चन्दा कोई सूरज तो कोई ध्रुव तारा जैसे सारा आकाश हमारा जब दिल भर आता किसीके भी सामने दुःख की गगरी खाली...
View Articleप्रदूषण घटायें - पर्यावरण बचायें
पैदल चलेंहवा को शुद्ध रखेंरिक्शे में बैठें दोस्ती निभाएं प्रदूषण घटायें साथ में जायें दूरियाँ बढ़ीं तो वाहन भी बढ़ेधुआँ भी बढ़ा कारें ही कारें दिखतीं सड़क पे हवा में धुआँ थोड़ी सी दूरी पैदल तय करें धुएँँ से...
View Articleपरास्त रवि
(१)आततायी सूर्य का, यह अनचीन्हा रूपलज्जित भिक्षुक सा खड़ा, क्षितिज किनारे भूप !(२)बाँध धूप की पोटली, काँधे पर धर मौन क्षुब्ध मना रक्ताभ मुख, चला जा रहा कौन !(३)बुन कर दिनकर थक गया, धूप छाँह का जालसाँझ...
View Articleये रिश्ते
हल्की सी ठेसतोड़ जाती पल मेंकाँच से रिश्तेकटु वचन छुईमुई से सच्चे शर्मिन्दा रिश्ते गुस्से की आँधी टहनी से झरतेफूलों से रिश्ते बातों के शोलेअपमान की आगझुलसे रिश्तेचीरती बातेंमखमल से रिश्तेकाँटों से...
View Articleबोझ
“ देख कितने अच्छे लग रहे हैं दोनों ! स्कूल जा रहे हैं पढ़ने को !”कूड़े में से बेचने लायक काम का सामान बीन कर इकट्ठा करना निमली और उसके छोटे भाई सुजान का रोज़ का काम है ! इसे बेच कर जो थोड़े बहुत पैसे घर...
View Articleलम्हा भर रोशनी
आँखों पर कस करहालात की काली पट्टी बाँधजिन्दगी नेघुप अँधेरे मेंअनजानी अनचीन्ही राहों परजब अनायास हीधकेल दिया थातब मन बहुत घबराया था !व्याकुल विह्वल होकर सहारे के लिएमैंने कितनी बार पुकारा था,लेकिन...
View Articleजीवन चक्र
शहर की सुन्दर सी कॉलोनी में मलिक साहेब की बड़ी सी कोठी थी और उस कोठी में अमलतास का एक बहुत बड़ा हरा भरा और सुन्दर सा पेड़ था ! उस पेड़ पर एक प्यारी सी बया रहती थी ! बया रानी दिन भर मेहनत करती ! अमलतास के...
View Articleहारती संवेदना
क्या करोगे विश्व सारा जीत करहारती जब जा रही संवेदना ! शब्द सारे खोखले से हो गये ,गीत मधुरिम मौन होकर सो गये ,नैन सूखे ही रहे सुन कर व्यथा ,शुष्क होती जा रही संवेदना ! हृदय का मरुथल सुलगता ही रहा ,अहम्...
View Articleपिता
पितृ दिवस की आप सभीको हार्दिक शुभकामनायें ! पिताएक ऐसा जुझारू व्यक्तित्वजिसने चुनौतियों सेकभी हार न मानीहर मुश्किल घड़ी मेंवह और मज़बूत होकर निखराहर विपदा को अपने ध्रुव इरादों सेजिसने चूर चूर करने की...
View Articleजीवन आधारे - वृक्ष हमारे
कितना देते फल, फूल, सुगंध वृक्ष हमारे ! खुश होते हैं हिला कर पल्लव वृक्ष साथ में ! जिलाते हमें देकर प्राण वायु वृक्ष उदार !सुन्दर वन रखते सदा स्वच्छ पर्यावरण ! सिर्फ देते हैं कुछ नहीं माँगते वृक्ष हमसे...
View Articleएक पिता की फ़रियाद
हमने भी जिया है जीवन ! मर्यादाओं के साथ ! मूल्यों के साथ ! सीमाओं में रह कर ! अनुशासन के साथ !जीवन तुम भी जी रहे हो ! लेकिन अपनी शर्तों के साथ ! नितांत निरंकुश होकर ! बिना किसी दखलंदाजी के ! बिलकुल...
View Articleराम तुम बन जाओगे
आओ तुमको मैं दिखाऊँमुट्ठियों में बंद कुछ लम्हे सुनहरे ,और पढ़ लो वक्त के जर्जर सफों पर धुंध में लिपटे हुए किस्से अधूरे !आओ तुमको मैं सुनाऊँ दर्द में डूबे हुए नगमात कुछ भूले हुए से,और कुछ बेनाम...
View Articleमैं एकाकी कहाँ
मैं एकाकी कहाँ !जब भी मेरा मन उदास होता हैअपने कमरे कीप्लास्टर उखड़ी दीवारों पर बनीमेरे संगी साथियों कीअनगिनत काल्पनिक आकृतियाँमुझे हाथ पकड़ अपने साथ खींच ले जाती हैं,मेरे साथ ढेर सारी मीठी-मीठी बातें...
View Articleहवाई सर्वेक्षण.......
प्रदेश में बच्चे ‘चमकी’ बुखार और लू से बड़ी संख्या में हर रोज़ में मर रहे हैं ज़मीनी हकीक़त से बड़ी गहराई से जुड़े नेताजी हवाई सर्वेक्षण से स्थिति का जायज़ा लेने का उपक्रम कर रहे हैं ! कष्ट भोग रही, दुखों से...
View Articleपिघलती शाम
स्तब्ध जलधि दूर छूटता कूल एकाकी मन ! रुष्ट है रवि रक्तिम है गगन दूर किनारा ! मेरे रक्ताश्रु मिल गये जल में रक्तिम झील ! सुनाई देती सिर्फ चप्पू की ध्वनि उठी तरंगें ! लोल लहरें ढूँढे रवि आश्रय छिपा जल...
View Articleवर्षा
चंचल चुलबुली हवा ने जाने बादल से क्या कहारुष्ट बादल ज़ोर से गरजाउसकी आँखों में क्रोध कीज्वाला रह रह कर कौंधने लगी ।डरी सहमी वर्षा सिहर करकाँपने लगी और अनचाहे हीउसके नेत्रों से गंगा जमुना की अविरल धारा...
View Articleपहली बारिश
कितनी शिद्दत के साथ था मुझे तुम्हारा इंतज़ार ! जेठ अषाढ़ की विकल करती मरणान्तक गर्मी से एक तुम ही राहत दिला सकोगी यह विश्वास था मुझे ! खिड़की के पास खड़े होकर...
View Articleक्रोधित त्वरा विचलित गगन
(१)क्रोधित त्वराविचलित गगनशांत वसुधा(२)तरल नीरफौलाद सी चट्टानें श्रृंगार मेरा(३) तेरी बिजली मेरा सुन्दर रूप चमका जाती (४)खिल जाते हैं प्रकाश प्रसून भी मेरे तन पे(५)भय न जानूँवसुधा मेरा नाम धैर्य महान...
View Articleछलना
कब तक तुम उसेइसी तरह छलते रहोगे !कभी प्यार जता के,कभी अधिकार जता के,कभी कातर होकर याचना करके,तो कभी बाहुबल से अपनाशौर्य और पराक्रम दिखा के,कभी छल बल कौशल सेउसके भोलेपन का फ़ायदा उठाके,तो कभी सामाजिक...
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