देवी माँ का पंचम रूप – माता स्कंदमाता
देवी माँ का पंचम रूप – माता स्कंदमाता मोक्ष प्रदाता चार भुजा धारिणी माँ स्कंदमाता वात्सल्यमयी गोद विराजें स्कन्द दिव्य आनंद सिंहवाहिनी पद्मासना संस्थितातेजोमयी माँ हृदय धारे निज सूक्ष्म स्वरुप...
View Articleदेवी माँ का षष्ठम रूप – माता कात्यायिनी
देवी माँ का षष्ठम रूप – माता कात्यायिनी अद्भुत तेज जन्मी माँ कात्यायिनी दाता त्रिदेव दिव्य सौंदर्य स्वर्णिम आभा युक्त कंचन काया महर्षि सुता भगवती स्वरूपा माँ कात्यायिनी शक्तिरूपिणी...
View Articleदेवी माँ का सप्तम स्वरुप – कालरात्रि माता
रुद्र स्वरूपा श्यामवर्णी त्रिनेत्री माँ कालरात्रिमुक्त केशिनी नरमुंड धारिणीहाहाकारी माँ प्रलयंकारी दैत्यासुर घातिनी खड्ग धारिणी गधावाहिनी सृष्टि की संचालिका संरक्षिका माँ पाप नाशिनी शुभ फल दायिनी...
View Articleदेवी माँ का अष्टम स्वरुप – महागौरी माँ
देवी माँ का अष्टम स्वरुप – महागौरी माँशुभ्र वसनाशांत, स्निग्ध, मृदुल महागौरी माँ शिव को पाया कठोर तपस्या से पति रूप में निस्तेज काया श्याम वर्ण लख होंआकुल प्रभु निर्मल किया जटा में समाहित गंगा धार से...
View Articleदेवी माँ का नवम स्वरुप – सिद्धिदात्री माँ
देवी माँ का नवम स्वरुप – सिद्धिदात्री माँ सिंहवाहिनी चतुर्भुज धारिणी सिद्धिदात्री माँ करें जागृत भजें माँ को ध्यान से निर्वाण चक्र सृष्टि में कुछ अगम्य अगोचर रह न जाये प्राप्त हो जायेविजय ब्रह्माण्ड पे...
View Articleखाली कमरा
त्यौहारों का मौसम है घर के दरो दीवार साफ़ करके चमकाने का वक्त है ! कहीं कोई निशान बाकी न रह जाये कहीं कोई धब्बा नज़र न आये कुछ भी पुराना धुराना बदसूरत दिखाई न दे ! सोचती हूँ बिलकुल इसी तरह आज मैं अपने...
View Articleसाहब ने की बागबानी
हमारे पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी के परिवार से मैं आपका परिचय पहले ही करा चुकी हूँ ! घर के लिए सब्ज़ी खरीद कर लाने की उनकी शर्माइन द्वारा लगाई गयी क्लास के किस्से आप निश्चित रूप से भूले नहीं होंगे ! जो...
View Articleहारती रही हर युग में सीता
राम जानकी सतयुगी आदर्श आज भी पूज्य न पाया सुख सम्पूर्ण जीवन में राजा राम ने जलते रहे पुरुषोत्तम राम विरहाग्नि में करते रहे कर्तव्य निर्वहन वैरागी राम कद्र न जानी जानकी के तप की निष्ठुर लोग एक निर्णय...
View Articleहर्ष का त्यौहार है दीपावली
है मिटाना तम अगर संसार का दीप हर घर में सजाना चाहिए प्रेम और सौहार्द्र का घृत डाल कर नेह की बाती जलाना चाहिए ! दूर हो जायें सभी शिकवे गिलेसोच कर हर डग बढ़ाना चाहिए खिल उठें मुस्कान से चहरे सभी हर्ष से...
View Articleचले पटाखे - हवा प्रदूषित
चले पटाखे मन गयी दीवाली संत्रस्त लोग नये कपड़ेचिंगारी से सूराख हुए खराब अग्नि की वर्षा बिखरी चिंगारियाँ झुलसे पौधे नींद उड़ायेंपटाखों के धमाके जीना दूभर लगी चिंगारी वर्षों की जमा पूँजी पल में राख फैलता...
View Articleदीवाली की रात - बाल कथा
दीपावली की रात थी ! चारों तरफ पटाखों का शोर था ! कहीं अनार छोड़े जा रहे थे तो कहीं बम चल रहे थे ! कहीं रॉकेट शूँ-शूँ कर आसमान में सितारों से गले मिलने के लिए उड़े जा रहे थे तो कहीं लंबी सड़क पर एक कोने से...
View Articleप्रदूषण घटायें - पर्यावरण बचायें
पैदल चलें हवा को शुद्ध रखें रिक्शे में बैठें दोस्ती निभाएं प्रदूषण घटायें साथ में जायें दूरियाँ बढ़ीं वाहन भी तो बढ़ेधुआँ भी बढ़ा कारें ही कारें दिखतीं सड़क पे हवा में धुआँ थोड़ी सी दूरी पैदल तय करें धुंए...
View Articleये बच्चा किसका बच्चा है - इब्ने इंशा
बाल दिवस पर विशेष आज आपके साथ मशहूर शायर जनाब इब्ने इंशा की एक नज़्म साझा करना चाहती हूँ इसे जब भी पढ़ती हूँ मन पीड़ा से भर उठता है और मैं चाहती हूँ कि इसे आप सब भी ज़रूर पढ़ें क्योंकि जब भी मन में करुणा...
View Articleबेरुखी
हर मौसम में हमेशा ही भरपूर बहार की बेपनाह खूबसूरती और दिलकश खुशबू से भरे रहने वाले इस रंगीन बाग़ का रास्ता बहार शायद अब भूल गयी है !मुद्दत हुई इस बाग़ में अब फूल नहीं खिलते और सारे फूलदार पौधे सर...
View Articleतुरुपी चाल
अचूक वार किये एक तीर से कई शिकार फुस्स हो गया आतंकी कारोबार कड़ा प्रहार मन में खोट बाँटे थे जाली नोट आतंकी चाल जनता खुश काले धन पे गाज नेता नाराज़ मन में चोर नेता जी बौखलाएं हल्ला मचाएं तुरुपी वार चित्त...
View Articleमुखौटा
मिथ्या बौद्धिकता, झूठे अहम और छद्म आभिजात्य के मुखौटे के पीछे छिपा तुम्हारा लिजलिजा सा चेहरा मैंने अब पहचान लिया है और सच मानो इस कड़वे सत्य को स्वीकार कर पाना मेरे लिए जितना दुष्कर है उतना ही मर्मान्तक...
View Articleहासिल
कितनी बातें थीं कहने को जो हम कहते तुम सुन लेते कितनी बातें थी सुनने को जो तुम कहते हम सुन लेते !लेकिन कुछ कहने से पहले घड़ी वक्त की ठहर गयी सुनने को आतुर प्राणों की आस टूट कर बिखर गयी !बीत गयी वो घड़ी...
View Articleइम्तहान
अब बस भी कर ऐ ज़िंदगी !और कितने इम्तहान देने होंगे मुझे ? मेरे सब्र का बाँध अब टूट चला है ! मुट्ठी में बँधे सुख के चंद शीतल पल न जाने कब फिसल कर हथेलियों को रीता कर गए पता ही नहीं चला ! बस एक नमी सी ही...
View Articleशिक्षा और श्रम
जीवन यापन के लिए करना है उद्योग लेकन समुचित काम का बना नहीं संयोग ! ऑफिस-ऑफिस फिर रहे बैग हाथ में थाम व्यर्थ हुईं सब डिग्रियाँ मिला न कोई काम ! रद्दी का हैं ढेर सब कहीं न इनका मोल सुनने को मिलते रहे...
View Articleमोक्ष - लघुकथा
स्वप्नगंधा साहित्यिक मंच आपका हार्दिक स्वागत करता है। और अब समय है हमारी प्रतियोगिता के निर्णय का, प्रतियोगिता में सारी ही लघुकथायें बहुत अच्छी आई थी।पर हमारी मजबूरी है की हमें तीन लघुकथा ही चुननी थी।...
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